Na Umr Ki Seema Ho - 2 in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | ना उम्र की सीमा हो - 2

The Author
Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

Categories
Share

ना उम्र की सीमा हो - 2

भाग 2 ( अंतिम भाग ) - पिछले अंक में आपने पढ़ा कि सुकन्या सतीश से अपने मुसीबतों की बातें कर रही थी , अब आगे पढ़ें क्या उम्र के अंतर के बावजूद दोनों मिल पाते हैं .....


कहानी - ना उम्र की सीमा हो 2

" देखो मैं पास्ट याद कर भी रोने वाली नहीं हूँ .मेरे पति ने मरते वक़्त कहा था कि रोने से कुछ हासिल नहीं होगा .सामने वाला हो सकता है झूठी सहानुभूति दिखा दे , बस ."


" नहीं , मैं न तो तुम्हें रोते देखना चाहूंगा न ही झूठी सहानुभूति दिखलाऊंगा .बस तुमने ही चर्चा की इसलिए पूछ बैठा था ."


" तो सुनो , उस साल मेरे पति का फैटल एक्सीडेंट हुआ था .तब मैं उम्मीद से थी और चौथा महीना चल रहा था .एक्सीडेंट के सदमे से या क्यों नहीं जानती मेरा मिसकैरेज हो गया था . "


" वैरी सॉरी . "


" अब सॉरी वारी छोड़ो , मैं कॉफ़ी बना कर लाती हूँ ."


सुकन्या कॉफ़ी बनाने चली गयी .अभी तक सतीश के मन में सुकन्या के प्रति प्यार सोया हुआ था पर अब जागृत हो गया था .वह एक दोराहे पर खड़ा था .एक ओर वह उससे करीब आठ वर्ष बड़ी थी , पता नहीं उसके इजहार को वह किस रूप में ले .दूसरी ओर पता नहीं माँ ऐसे रिश्ते को कबूल करे या नहीं .सतीश दिखावे के लिए एक मैगजीन उठा कर पढ़ रहा था जबकि उसकी आँखें सिर्फ पन्नों पर थीं और मन कहीं और विचरण कर रहा था .


तब तक सुकन्या कॉफ़ी मेकर से झटपट कॉफ़ी ले कर आई .उसने सतीश के मैगजीन को उलट कर सीधा किया और कहा " अब पढ़ो . पर जहाँ तक मैं समझती हूँ तुम किसी गहरी चिंता में हो .दोस्ती है तो कुछ शेयर भी कर सकते हो .हो सकता है कुछ मदद कर सकूँ ."


" तुम्हें तो दोस्त से कहीं बढ़ कर माना है .अच्छा यह बताओ तुमने दुबारा शादी क्यों नहीं की ? "


" मेरे पति ने भी अपने अंतिम क्षणों में कहा था कि शादी कर लेना ."


" फिर ? "


" मेरे जेठ और देवर भी हमारे ही साथ रहा करते थे .पर हमारी प्रॉपर्टी में उनका एक पैसा भी नहीं लगा था .वे बस समझो तो हमारी कंपनी में नौकरी करते थे .भाई की मृत्यु के कुछ दिनों के अंदर ही उन्होंने कंपनी और अन्य प्रॉपर्टी में अपना दावा ठोक दिया ."


" तब ? "


" तब क्या ? मेरे पति ने एक एक पैसे का हिसाब रखा था .सारे लेन दें चेक से करते थे .और बात सिर्फ पैसों की होती तो मैं खुद उन्हें कुछ दे देती ."


" और क्या बात थी ? "


" जानते हो हमारे देश में विधवा या परितक्तया स्त्री को लोग पब्लिक प्रॉपर्टी समझ कर भोगना चाहते हैं .मेरे विधुर जेठ ने भी प्रयास किया तो मैंने उन्हें जेल भिजवा दिया .अभी पिछले साल मैंने कोर्ट में केस जीता है .देवर को भी घर से निकाल दिया .तब से मीरा बेन और मेहता अंकल यही दोनों मेरा साथ दे रहे हैं . ये दोनों मेरे पति के समय से ही हमारे साथ हैं "


" अब तो फ्री हो गयी हो तो अपना घर बसा सकती हो ."


" औरत की दिली ख्वाईश होती है उसका अपना घर परिवार हो . मेरी आधी उम्र बीत गयी कोर्ट कचहरी के चक्कर में .अब उम्र के इस पड़ाव पर क्या करूँ ? "


" एक तो कोई खास उम्र हुई नहीं तुम्हारी .ऊपर से कोई भी तुम्हें देख कर 25 से ज्यादा की नहीं सोचेगा ."


" तुम फिर लाइन मारने लगे मुझ पर . " मुस्कुरा कर बोला था सुकन्या ने


" मुझे लाइन मारना नहीं आता है .हाँ , सीधे लब्जों में कहूँ तो प्यार किया है तुमसे और इसे स्वीकार करने में मुझे कोई संकोच नहीं है . "


सुकन्या सुन कर अवाक रह गयी थी .कुछ देर उसका मुंह खुला रह गया था .वह बोली " तुम क्या बोल रहे हो ? होश में हो ,सोच कर बोला करो ."


" मैं पूरी तरह से होश में सोच समझ कर बोल रहा हूँ . मुझे पता नहीं तुम मुझे अपने जीवन साथी के योग्य समझती हो या नहीं ? "


" तुम्हें अयोग्य समझने का कोई कारण नहीं है .तुम्हें अच्छी लड़की मिलेगी .मैं तुम्हारी मदद करूंगी .देखो वैसे भी फेसबुक पर तुम्हें और भी अच्छी लड़कियां मिली होंगी ?"


" क्यों जी जला रही हो ? तुम्हें भी काफी अच्छे लड़के या पुरुष मिले होंगे ?


" मैंने एक बहुत बड़ा झूठ तुमसे छुपाया था फेसबुक पर कि मैं विधवा हूँ , मेरा मिसकैरेज हो चुका है , मुझ पर रेप एटेम्पट हो चुका है और मैं 32 साल की हूँ . जिसने भी मेरी कहानी सुनी तुरंत मुझसे किनारा कर लिया था . कहीं तुम भी न चलते बनो इसलिए शुरू में नहीं बताया था ."


" अब तो सब जान कर भी तुम्हें पहले से ज्यादा चाहने लगा हूँ ."


शाम हो चली थी .सुकन्या ने पूछा " माँ को बता कर आये हो ? वह चिंतित होंगी ."


" हाँ , मैं माँ को बोल कर आया हूँ कि अपने प्यार से मिलने जा रहा हूँ .फोन भी कर दिया था कि अंधेरा होने के पहले लौट आऊंगा . हम तो भारत की पश्चिमी छोर पर हैं .अभी भी अंधेरा होने में वक़्त है ."


" ठीक है , पर जल्दीबाजी में इतना अहम फैसला नहीं लिया जाता .घर जाओ , ठन्डे दिमाग से सोचो .माँ से

भी बात करो .


" मैंने तो सोच लिया था बहुत पहले , सोचने की बारी तुम्हारी है .उम्र की बात तो आज सामने आयी है जिसे मैं मुद्दा नहीं मानता हूँ ."


सतीश अपने घर आ गया .डिनर के बाद कमला ने पूछा " मिल आया लड़की से ? कुछ बात चलायी ,

कैसी लगी ? "


" मैं किसी लड़की से मिलकर नहीं आया हूँ ."


" तब दिन भर क्या कर रहा था ? "


" जिस लड़की से मिलने गया था वह एक विधवा औरत है .वैसे काफी अच्छी और समझदार है .मुझे

तो पसंद है ."


" विधवा है और बोल रहा है अच्छी है .वह तुम्हें फांसना चाहती है ."


" माँ , मैं भी तो तलाक़शुदा हूँ .मेरे पास कुंवारी लड़की क्यों आये ? और वह मुझे नहीं फांसना चाहती है , उलटे उसने कहा कि मेरे लिए अच्छी और कम उम्र की लड़की खोजने में मेरी सहायता करेगी सुकन्या ."


" कम उम्र , तुमसे बड़ी है ? "


" हाँ , वह मुझसे करीब दो तीन साल बड़ी होगी . फिर भी अगर वह हाँ करे तो मुझे ख़ुशी होगी ."


" तू बावला हो गया है . "


" हाँ माँ , बावला ही समझ .अगर वो मुझे नकार दे तभी कुछ और सोच सकता हूँ ."


" तू समझता है उसके साथ आजीवन खुश रहेगा ? "


" हाँ , बेहद खुश रहूँगा .पर डर मुझे दूसरी बात का है .वह बहुत अमीर है और कहीं गरिमा की तरह मुझे

छोड़ न दे .मगर तुम्हें नाराज कर के मुझे अपनी ख़ुशी नहीं चाहिए , तुम आश्वस्त रहो माँ ."


" कैसी बात कर रहा है तू , तेरी ख़ुशी से मैं भला नाराज हो सकती हूँ .मुझे उस लड़की से जल्दी मिला ."


" सच माँ , तुम तैयार हो उसे बहू बनाने को ."


और सतीश ने माँ को गले से लगाया .अब वह सोचने लगा कि सुकन्या को कैसे मनाया जाए .रात के ग्यारह बज रहे थे .उसने सुकन्या को फोन किया .काफी देर बाद सुकन्या की अलसाई आवाज आई " कौन ? "


" मैं सतीश .सो गयी थी क्या ? "


" हाँ , मैं लगभग हर रोज रात दस बजे सोने जाती हूँ .तुम्हें नींद नहीं आ रही है क्या ? सुबह सुबह प्लांट जाना होगा , जाओ सो जाओ .सुबह बात कर लेना ."


" नहीं , मैं सो नहीं सकता हूँ .नींद उड़ गयी है ."


" मुझे भी यही डर था कि तुम कहीं पर दीवानगी का नशा न छा जाये ."


" सही कहा है तुमने . तुमसे मिलने के बाद मेरी दीवानगी तो दूनी हो गयी है. . अगर तुम्हें मंजूर हो तो अभी आ जाऊँगा ? "


" नहीं , मुझे नहीं मंजूर है .संडे को मिलते हैं ."


" नहीं .उतने दिन इंतजार करना असंभव है , बात ही कुछ ऐसी है ."


" ऐसी क्या बात हो सकती है ? "


" माँ अपनी होने वाली बहू सुकन्या से जल्द ही मिलना चाहती है ."


" क्या ...? " बोलने के बाद कुछ देर तक फोन पर ख़ामोशी छायी रही .दूसरी ओर से सतीश बार बार हेलो , हेलो , सुन रही हो या नहीं बोले जा रहा था .


कुछ पल बाद वह बोली " हाँ सुन रही हूँ .मुझे कहना नहीं चाहिए , पर तुम नादानी वाली बातें कर रहे हो .माँ की रजामंदी के अतिरिक्त और भी बातें हैं .संडे को मिल कर बात करते हैं ."


" नो , कल दोपहर बाद मैं आ रहा हूँ . "


और सतीश ने सुकन्या के उत्तर सुने बिना फोन काट दिया . उधर सुकन्या भी अंदर से खुश ही हुई .उसकी आँखों से भी नींद उड़ चुकी थी .दोनों ने करवटें बदलते हुए रात बितायी .


अगले दिन अपराह्न चार बजे सतीश सुकन्या के घर पहुंचा .वह रात भर न सोने के कारण दिन में भोजनोपरांत सो गयी थी .जब सतीश पहुंचा वह नहा रही थी .थोड़ी देर में वह सीढ़ियों से उतर कर नीचे ड्राइंग रूम में आ रही थी ,अपने घने रेशमी बालों को सुखाने के प्रयास में झटकते हुए .


सतीश के पास आकर बोली " क्या लोगे , चाय , कॉफ़ी या ठंडा ? "


" अभी तो तुम्हारा यह रूप देख कर सारे बदन में तपिश सी लग रही है , ठंडा ही पिलाओ ."


" मिस्टर मजनू , जरा होश में आओ .ज्यादा उतावलापन ठीक नहीं है ."


सुकन्या ने मीरा को दो ठंडा लाने को कहा .फिर बोली " मैं पांच मिनट में चेंज कर के आती हूँ , फिर बाहर चल कर बातें होंगी ."


कुछ देर बाद दोनों सी बीच पर थे . दोनों समुद्र तट पर बालू पर बैठे थे .सतीश बोला " मैंने अपना और माँ का फैसला बता दिया है , अब तुम्हारी बारी है .अगर मुझे अपने लायक नहीं समझती हो तो साफ़ साफ़ बता देना ."


" तुम्हें जीवन साथी बना कर कोई भी लड़की या औरत खुश होगी .पर मैं उतनी स्वार्थी नहीं कि अपनी ख़ुशी के लिए तुम्हारा सुख चैन छीन लूँ .तुम जरा दूरदर्शी बन कर सोचो ."


" मैंने सब सोच विचार करने के बाद ही यह फैसला लिया है , बाकी तुम्हारी मर्जी पर निर्भर करता है . मेरा सुख चैन सब तुम ही हो . यह समझ कर तुम अपना फैसला सुनाना . "


" देखो हमारे बीच एक तो उम्र का फासला है .तुम्हें परिवार , दोस्तों और समाज के ताने सुनने को मिलेंगे .हमें साथ देख कर लोग छींटें कसेंगे .हमारे दोस्तों के दायरे अलग अलग हैं , हम धीरे धीरे उनसे अलग धलग पड़ जायेंगे .कुछ समय तक तो तुम बर्दाश्त कर लोगे पर शायद बाद में अपने फैसले पर तुम्हें पछतावा हो .मैं तुमसे बड़ी हूँ . सम्भव है मैं तुमसे पहले मर जाऊँ .फिर क्या तुम बाकी जीवन अकेले रह पाओगे ? "


" तुम हर बार उम्र को बीच में मत लाओ .मर्द अपने से आधे या उससे भी कम उम्र की लड़की से शादी कर सकता है तो अगर औरत का पति छोटा हुआ तो क्या गलत है .तुम्हें पता है सचिन अपनी पत्नी से काफी छोटा है और फरहा खान अपने पति से काफी बड़ी .इस तरह के हज़ारों जोड़ें अपने वैवाहिक जीवन से खुश हैं .और अभी फ्रांस के राष्ट्रपति अपनी पत्नी से 20 साल से ज्यादा ही छोटे हैं .प्यार दिल से किया जाता है , उम्र से नहीं .प्यार में उम्र की कोई सीमा रेखा नहीं होती .मुझे अब सिर्फ तुम्हारे फैसले का इंतजार है ."


" तब तुम नहीं मानोगे ? "


" नहीं , तुम्हारे मानने की प्रतीक्षा करूंगा ."


दोनों कुछ देर खामोश हो कर सागर की लहरों का किनारे तक आना फिर वापस चले जाना देख रहे थे .सतीश ने कहा " मुझे डर सिर्फ दो बातों का है ."


" कौन सी बातें "


" गरिमा बहुत धनी थी , मुझे बीच में छोड़ कर चली गयी और तुम भी काफी धनी हो . मुझे डर है कहीं तुम भी गरिमा ...."


सुकन्या ने बीच में ही बात काटते हुए कहा " उस बारे में तुम निश्चिन्त रहो ,और दूसरी बात ? "


" मैंने माँ से झूठ कहा कि तुम मुझसे सिर्फ दो तीन साल बड़ी हो .माँ को तुम्हें स्वीकार करने में ज्यादा परेशानी न हो इसलिए मैंने ऐसा कहा .इस झूठ में तुम्हें मेरा साथ देना होगा . और माँ की बस एक ख्वाईश है कि गरिमा तो पत्नी या बहू की गरिमा नहीं निभा सकी, सुकन्या अपना नाम अवश्य सार्थक करेगी ."


" मैं तुम माँ बेटे दोनों की कसौटी पर खरी उतर कर दिखाऊंगी . मुझे अपने पर कम से कम इतना विश्वास तो है ही . "


“ अब जा कर मेरे मन को शांति मिली है . “


सुकन्या ने सतीश की गोद में अपना सर रख दिया और सतीश उसके बालों से देर तक खेलता रहा .उनको पता भी नहीं चला कि संध्या रानी का आगमन हो चुका था और वह आकाश में अनगिनत प्रकाश के मोती बिखेरने लगी थी . सुकन्या के वदनमंडल पर यौवन अंगड़ाईयाँ ले रहा था .


सतीश ने झुक कर उसे चूमना चाहा तो वह बोली " थोड़ा और सब्र करो .कल चल कर माँ का आशीर्वाद ले लूँ , फिर जल्द ही शादी कर लेंगे . उसके बाद ही यह सब चलेगा ."


नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है